Winter Poem in Hindi – सर्दी का मौसम आना मानो खुशियों के दिन आना, यह बात मैं अपनी बता रहा हु क्यूंकि मुझे सर्दी का मौसम बहुत ही अच्छा लगता है, चूँकि शीत ऋतु में ना तो हवा मतलब Fan की जरूरत और ना AC (Air Conditioners) की जरूरत होती है और ना ज्यादा पसीना आता है, अगर आपको भी मेरी तरह सर्दियों का मौसम अच्छा लगता है और आप Romantic मनाने के लिए कविता देख रहे है, तो आप सही जगह है यहाँ हम Winter Love Romantic Poem, सर्दी के मौसम पर कविता, शीत ऋतु कविता, Funny Winter Poem, सर्दी पर हास्य कविता, सर्दी आई सर्दी आई कविता आदि का बेहतरीन संग्रह पेश करेंगे, उम्मीद करते है आपको यह Collection बेहद पसंद आने वाला है |
Winter Poem in Hindi |
ये ठंडी-ठंडी हवाएं याद तेरी लाएं वो कांपती हुई हमारी हाथें और इक-दूजे की आँखों में आँखें लालिमा लिए आता सूर्य और चहचहाती चिड़ियों के नीचे बिताया हुआ हमारा एक-एक पल आज भी हुआ न कल एक-दूजे को देख बस मुस्कुराते रहना जुबां पे बातों का आकर अटक जाना कभी आँखों को फेर, आसमां को ताकना तो कभी चिड़ियों से कुछ गुफ़्तगू करना दिल में अनकही बातों के लिए एक-दूजे से दूर जाना जाते-जाते भी गर्दन गुमा एक-दूजे को निहारना दिनों बाद आज सब याद आया है ठंडी हवाओं ने मुझको मेरे खोया एहसास दिलाया है ! |
सर्दी पर कविता इन हिंदी |
सर्दी लगी रंग जमाने दांत लगे किटकिटाने नई-नई स्वेटरों को लोग गए बाजार से लाने।बच्चे लगे कंपकंपाने ठंडी से खुद को बचाने ढूंढकर लकड़ी लाए बैठे सब आग जलाने।दिन लगा अब जल्दी जाने, रात लगी अब पैर फैलानेसुबह-शाम को कोहरा छाए हाथ-पैर सब लगे ठंडाने। सांसें लगीं धुआं उड़ाने |
शीत ऋतु पर कविता |
बचपन में हमें ठंड लगती सुहानी थी जब पूरे घर में चलती हमारी मनमानी थी स्कूल में पूरे 15 दिन की छुट्टी होती थी वो भी दिन क्या मस्ती भरी होती थीइन छुट्टियों में जी भर के खेलते थे, ठंड से तनिक भी नहीं डरते थे, हमको ठंड नहीं लगेगी सबसे हम यही कहते थेठंड में माँ बहुत ख्याल रखती थी, ठण्ड लग जायेगी बाहर मत जाना हमेशा यही कहती रहती थी लेकिन अब ये जवानी बहुत सताती है गर्मी हो ठंड रोज ऑफिस का रास्ता दिखाती है |
सर्दी पर हास्य कविता |
सर्दी आई बर्फ ओढ़ के हमने पहना स्वेटर। हीटर का भी मीटर डाउन, जलाया उसके नीचे अलाव। ताव पाकर मिली राहत कुछ गर्म खाने का किया मन। गर्मागरम पकोड़ी मम्मी बोली जी बिलकुल खाओ। बर्तन धोने की बात सुन मानो सर्दी हुई और सर्द। रख दी शर्त भयानक पर पकोड़ी मन ललचाये। धोने को बर्तन कसी कमर, लेकर प्रभु का नाम। मुंह में आये प्राण, बदन में छूटी कंप कँपी। हनुमान चालीसा जपते जपते खुली दिमाग की खिड़की। नहीं बनाया लड़की, कितना मुश्किल सर्दी में बर्तन धोना। हम ना छोड़ते बिछौना, ऊपर से हुकुम चलाते। गुस्सा और दिखाते बिना देखे उनका दर्द। बनेंगे हमदर्द आखिर वो भी है इंसान। करेंगे यह नेक काम आखिरकार हमको अक्ल आई। |
Romantic Poem on Winter Season in Hindi |
सफेद चादर में लिपटी कोहरे की धुंध ले आई ठंड की कैसी चुभन, कोहराम करती वो सर्द हवाएं छोड़ जाती बर्फ से ठंडी सिहरने, कोहरे का साया भी ऐसा गहराया सूरज की लाली भी ना बच पाया, अंधेरा घना जब धुंधलालाया रात के सन्नाटों ने ओस बरसाया, कैसी कहर ये ठंड की पड़ी जहां देखो दुबकी पड़ी है जिंदगी, अमीरों के अफसानों के ठाठ हजार गरीबी कम्बलों से निहारती दांत कटकटाती, ठिठुरती कपकपाती सर्द रातों में आग की दरस की प्यासी निगाहें, याद आती है अंगूठी के इर्द-गिर्द चाय की चुस्कियां लेती हो मजलिसे, तन को बेचैन करती कोहरे ओढ़ें आती सुबह शुष्क हवाओं संग, कैसी कहर ये ठंड की पड़ी जहां देखो दुबकी पड़ी है जिंदगी |
उम्मीद करते है आपको हमारे द्वारा सर्दी के मौसम पर कविता – Winter Poem in Hindi – शीत ऋतु कविता आदि का संग्रह बेहद पसंद आया होगा अगर आप ऐसे ही Kavita Collection पाना चाहते है तो हमारे इस ब्लॉग से जुड़े रहे, अगर हमसे कोई भी कविता या लाइन छूट गई हो तो हमें Comments Box में जरूर बताये |
यह भी पढ़े :